Madhu Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -02-Jun-2022देश जल रहा है

देश जल रहा है

  आज देश जल रहा है
   क्रोध अग्नि में यह पल रहा है 
   जानता नहीं है मानव क्रोध में 
    खुद को भस्म कर रहा है
   
आज देश जल रहा है
  
   लालच में यह पल रहा है ,
   रिश्वत चाटुकारिता का बोलबाला।
   भाई भाई को डस रहा है
   विद्रोह अंदर पल रहा है
    
आज देश जल रहा है 
    
    द्वेष इसमें पल रहा है 
     तूने कहा मैं क्यों सुनूं 
    बड़े -छोटे का भेद खत्म 
    अहंकार मन में पल रहा
     
  आज देश जल रहा है
     
    अंहकार इसमें आ गया 
     राजनीति इसको भा गया 
    जनता की परवाह कहांँ
    सियासत सब करते हैं यहांँ
    
     सब करते हैं जेब गर्म 
    शर्मो हया सब जा रहे हैं 
   मानवता का हनन हुआ
   नैतिक मूल्यों का पतन हुआ।
      
     आज देश जल रहा है
       
   काम इसमें छा गया 
    कुत्सित वीभत्स सा हो गया 
    भेद रहा ना बहन बेटी का 
    जीना दुश्वार हो गया 
       
    आज देश जल रहा है 
       
       माया की आपाधापी में 
       मैं मेरा की सोच में 
       इससे आगे और क्या
        सोच हुई संकीर्ण यहांँ
        
        देश जल रहा है
    
       कहां गए?गुण तुम्हारे
       जो थे तुम में हैं भरे  ,
       प्रेम ,शांति ,दया ,परोपकार ,अहिंसा 
       वापस जगाओ उठो यहां
        करें नवयुग की स्थापना ।
        
        आज देश जल रहा है।
             रचनाकार ✍️
           मधु अरोरा
         2.6.२०२२
प्रतियोगिता हेतु
                     

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8 Comments

Shnaya

03-Jun-2022 07:08 PM

Nice 👍🏼

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Shrishti pandey

03-Jun-2022 03:01 PM

Nice

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Tariq Azeem Tanha

03-Jun-2022 03:01 PM

शानदार

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